Wednesday 14 December 2016

आख़िर किस दिशा में अग्रसर हो रहे हैं हम ? द्वारा अनिल कुमार गुप्ता (पुस्तकालय अध्यक्ष - के वी फाजिल्का)

आख़िर किस दिशा में अग्रसर हो रहे हैं हम ?

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
के वी फाजिल्का

वर्तमान भारतीय सामाजिक परिवेश का बारीकी से अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि यहाँ लोग स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करते | इसके कई कारण हो सकते हैं मुख्यतया – न्यायपालिका में लोगों का अविश्वास . पुलिस विभाग का ढुलमुल रवैया, कानूनी प्रक्रिया का लम्बा खींचना, स्वास्थ्य सेवाओं से निम्न एवं गरीब वर्ग का वंचित होना, दबंगों द्वारा दलितों का शोषण, भ्रष्टाचार , स्त्री असुरक्षा (बलात्कार की घटनाओं में हो रही वृद्धि ), क्षेत्रीयतावाद, लोगों में सहिष्णुता का अभाव, नक्सलवाद, माओवाद, ऑनर किलिंग, आतंकवाद, हॉरर किलिंग , अपराधों का अनियंत्रिकरण आदि  - आदि बहुत से ऐसे विषय हैं जिन्होंने हम भारतीयों के मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न की है |

                हमारे देश के “so called” नेता लोगों के मन में राष्ट्रवाद की भावना को कूट – कूट कर भरना चाहते हैं  किन्तु इसका अभाव सबसे ज्यादा उन्ही में देखा जाता है |  ये कुर्सी के लिए एक दूसरे को किसी भी हद तक नीचा दिखाने से नहीं चूकते | इनकी इस भावना को हम संसद भवन के माध्यम से कई बार महसूस कर चुके हैं | असल राष्ट्रवाद का नाज़ार ये नेता ही पेश करते हैं जब ये एक दूसरे पर आरोपों की बौछार करते हैं और ये भूल जाते हैं कि इन्हीं से होकर राष्ट्रवाद देश के गलियारे में आसन ग्रहण करता है | देश की परवाह करने वाले कोई और ही होते हैं जो देश की सीमा पर पल  - पल जीवन की जंग लड़ते हैं |

                                        जिन समस्याओं का यहाँ जिक्र किया गया है उनमे से बहुत से विषय तो ऐसे हैं जिनका इलाज़ आज और सभी संभव है | यदि इस देश में सऊदी अरब जैसे देशों की तरह से क़ानून व्यवस्था लागू कर दी जाए | तो मुझे नहीं लगता किसी भी प्रकार का अपराध इस देश को छू सकेगा  और जहां कोई भी व्यक्ति अपराध करने से पहले सौ बार सोचेगा |
                           “भय बिन प्रीति न होई “

ये विचार हम सबको पता है और हम जानते हैं कि बच्चों में भी अनुशासन की भावना को बल देने के लिए कई बार हम भय यानी डर का सहारा लेते हैं | अपराधी सभी जन्म से अपराधी नहीं होते , परिस्थितियाँ उन्हें मजबूर कर देती हैं किन्तु हम यह भी जानते हैं कि स्वयं पर नियंत्रण आवश्यक है | जो व्यक्ति स्वयं को नियंत्रित नहीं कर पाता उसके द्वारा अपराध की संभावनाएं बढ़ जाती हैं | एक बात और भी आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ कि बहुत से ऐसे भी अपराधी देखे गए हैं जो आदतन अपराधी बने रहना चाहते है और सजा के बाद भी वे अपराध करने से नहीं चूकते | ऐसे अपराधियों पर लगाम लगाना आवश्यक है |  अतः आवश्यक है कि इस प्रकार के चरित्रों को नियंत्रित करने के लिए भय का सहारा लिया जाए और स्वस्थ समाज की स्थापना की और कदम बढ़ाया जाए |

                                अब हम बात करें एक ऐसे विषय की या समस्या की – बलात्कार | आये दिन हो रही बलात्कार की घटनाओं ने मानव संवेदनाओं को भीतर तक झिंझोड़कर कर रख दिया है | विकृत मानसिकता को लेकर जी रही युवा पीढ़ी स्वयं पर नियंत्रण रख पाने में असमर्थ पा रही है | आये दिन की हो रही हज़ारों निर्भया जैसी घटनाओं ने न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है | आख़िर कब होगा एक स्वस्थ समाज की स्थापना का आगाज़ | मुश्किल तो तब होती है जब पीड़िता को न्याय के साथ – साथ सामाजिक सहयोग नहीं मिलता | ज्यादातर मामलों में लड़की को ही दोषी करार कर दिया जाता है | कई बार तो स्थिति कुछ और होती है किन्तु लड़के को जवाबदार बना दिया जाता है | कभी – कभी तो तह देखा गया है कि अपनी व्यक्तिगत रंजिश की वजह से भी ऐसे आरोप लगा दिए जाते हैं |

                                रिश्तों में अविश्वास ने एक विषम परिस्थिति को जन्म दिया है | आज मनुष्य स्वयं में ही इतना गुम सा हो गया है कि उसे बाजू में रह रहे पड़ोसी का हाल जानने का समय भी नहीं है | समय – असमय की हो रही घटनाओं ने हमें भीतर तक हिला कर रख दिया है | आज के रिश्ते भ्रामक हो गए हैं | बड़े  - छोटे का लिहाज़ नहीं रहा | हर एक व्यक्ति अवसर की तलाश में रहता है | भीतरी कुंठा को शांत करने के लिए वह नए – नए रास्ते अपनाता रहता है | कभी – कभी तो उसे अपने सम्मान व स्वाभिमान की भी परवाह नहीं होती | केवल दौड़ रहे हैं , भाग रहे हैं , मंजिल की खबर नहीं | क्या कर रहे हैं ? इसका भी ज्ञान नहीं | स्वयं के उद्धार का कोई प्रयास नहीं | चाचा  - भतीजी , मामा – भांजी  के रिश्ते भ्रामक हो गए हैं | आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है ? यह गहन विश्लेषण का विषय है | जरूरत है तो बस सचेत रहने की |

                                अब बात करते हैं राष्ट्रवाद की | दो राज्यों के बीच प्राकृतिक संसाधनों के बंटवारे को लेकर चलती जंग , चाहे वह नदी के पानी को लेकर दक्षिण भारत के दो राज्यों की हो या फिर नहर के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहा विवाद |  आख़िर इस विवाद की जड़ में क्या है ? यह तो आप भी जानते हैं राजनीति से बढ़कर इस देश में कुछ भी नहीं | जब दो राज्य आपस में मिलकर देश के बारे में नहीं सोच रहे तो फिर जन सामान्य से राष्ट्रीय भावना की उम्मीद कैसे की जा सकती है | | देश के प्रतिनिधि जब संसद में एक दूसरे पर कुर्सी फेंकते नज़र आते हैं तब उनके भीतर का राष्ट्रवाद उभर कर सामने आता है | राजनीतिक प्रपंचों में उलझता राष्ट्रवाद , इस विचार ने देश में क्षेत्रीयतावाद को बढ़ावा दिया है | क्षेत्रीय समस्याओं से ऊपर देश हित में सोचने का कार्य सभी राज्यों को मिलकर करना होगा | दूसरी और हम देखते हैं कि काश्मीर की समस्या में घी डालने का काम वहां के ही नेता कर रहे हैं जिन्हें बोलते वक़्त यह भी ध्यान में नहीं रहता कि वे क्या कह रहे है और इसका क्या असर देश पर पड़ सकता है | हमारे नेता समस्याओं को उलझाने में ज्यादा विश्वास रखते हैं न कि समस्या का निपटारा करने में | हम जातिवादी ज्यादा हो रहे हैं बजाय राष्ट्रवादी होने के |

                                दबंगों और दलितों के बीच की दूरी सदियों से चली आ रही है और दलितों का शोषण , दबंगों की अमानवीय सोच का परिणाम है | सभी को सम्मानपूर्वक जीने का आधिकार है ऐसा हमारा संविधान भी कहता है | आर्थिक सम्पन्नता किसी दूसरे व्यक्ति के सामाजिक एवं प्राकृतिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकती | दलितों का शोषण किया जाना और उस पर न्यायपालिका का संरक्षण न मिल पाना बेशक एक विषम परिस्थिति उत्पन्न करता है | समानता का अधिकार सभी को है किसी व्यक्ति विशेष को राजनैतिक आधार पर सम्पन्नता के आधार पर संरक्षित करने का अधिकार किसी को नहीं है | सामाजिक असमानता और शोषण ने ही जिन विषयों को जन्म दिया है उनके नाम हैं नक्सलवाद, माओवाद आदि – आदि | ये विषय देश के विकास में आज बाधक बन गए हैं | जब आतंकवाद को रोकने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का सहारा लिया जा सकता है तो देश के भीतर नक्सलवाद और माओवाद को रोकने के लिए क्यों नहीं | जब किसी चैनल के पत्रकार इन नक्सल्स तक पहुँच सकते हैं तो हमारी सेना क्यों नहीं |

                                देश के विकास में एक और मुख्य बाधा है भ्रष्टाचार | विकसित देशों की नक़ल करने में हम माहिर हैं किन्तु केवल उन चीज़ों की जो हमारे जीवन को और आसान बना दे,  दिखावे की निगाह से | सीखने की बातें हम पश्चिमी देशों से नहीं सीखते | अनुशासन, नियमों का पालन, राष्ट्र के प्रति समर्पण, देश के विकास में सहयोग की भावना, सरकार को सही समय पर पूरा – पूरा टैक्स देना आदि – आदि | इन सब बातों को तो हमने अपनाया ही नहीं | किन्तु सूट – बूट , smoking, बियर, थोड़ा जियो खुलकर जियो, देर रात तक पार्टियाँ (रेव पार्टी) आदि – आदि बातों को हमने अपना कर लिया और इनके लिए रास्ते भी वे जो हमें गलत दिशा में ले जाते हैं को अपनी जिन्दगी का हिस्सा बना लिया | इन सबसे हमारी अपनी छवि, समाज में स्थिति, राष्ट्र की छवि पर इसका क्या असर होगा इस बारे में कभी सोचा ही नहीं | जीवन को विलासितापूर्ण तरीके से जीना है यह विचार मन के एक कोने में जगह बना चुका है | इसी ने मनुष्य को सही मार्ग से भटका दिया है और उसे मनुष्य से पशु की श्रेणी में ला खड़ा किया है |

एक और समस्या जो हमारे समाज को खोखला कर रही है वह है अपराधों में हो रही लगातार वृद्धि | चाहे वह ऑनर किलिंग, हॉरर किलिंग , बलात्कार हो , ---------- आदि – आदि | आज जब भी न्यूज़ चैनल पर न्यूज़ देखने बैठो तो एक ही बात - अपराध, अपराध और केवल अपराध | बलात्कार को लेकर हमारी न्यायपालिका को और ज्यादा सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है | जरूरत है एक स्वस्थ समाज के निर्माण की | ऐसा समाज जहां कोई भी किसी समय निर्भय होकर आ जा सके और अपने कार्यों को निपटा सके | मानवाधिकार की आड़ में अपराधियों पर दया दिखाना एक ऐसे समाज की और अग्रसर होना है जहां केवल अन्धेरा ही अँधेरा है उजाले का कोई निशाँ नहीं | बलात्कार की घटनाओं ने पूरी दुनिया में भारत की छवि को धूमिल किया है | इस गतिविधि को प्रेरित करने का काम किया है इन्टरनेट पर उपलब्ध अवांछनीय सामग्री ने | जिसने स्त्री को भोग की वस्तु की के साथ – साथ मनोरंजन की वस्तु घोषित किया है | जहां प्राकृतिक कुछ भी नहीं केवल अप्राकृतिक कृत्यों की भरमार है | आज की युवा पीढ़ी के हाथों में चौबीसों घंटे मोबाइल और उस पर इन्टरनेट , बचने की कोई गुंजाइश नहीं | ग्लोबल स्तर पर आवश्यकता है कि इस प्रकार के कंटेंट्स ही इन्टरनेट पर अपलोड न हों पायें और यदि अपलोड हो भी जाते हैं तो उन्हें हाईड कर दिया जाए जिससे उन्हें कोई डिटेक्ट न कर पाए | कुछ terms भी फिक्स कर दी जाएँ जो सर्च इंजन से होकर न गुजर पायें | और इस प्रकार की अपलोडिंग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाए |

                        गर हम कुछ नसीहत की बात करें तो आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारे देश के “so called”  नेता अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं से बाहर निकल देश के बारे में सोचें | वे उन लोगों के बारे में सोचें जिन्हें दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही | जो पैसा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना चाहिए उसे बेकार के विषयों पर खर्च न कर लोग्फों के स्वास्थ्य पर खर्च करें | मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान देना जरूरी है न कि वोट बैंक के चक्कर में Lolly Pop योजनायें लाकर लैपटॉप , स्कूटी , साइकिल या फिर जन्म और शादियों के नाम पर चेक बाटें |  बजाय इसके संसाधन जुटाएं , विद्यालय भवन बनाएं, विद्यालय तक पहुँच मार्ग विकसित करें | स्वच्छ पानी, बिजली एवं आधुनिक शिक्षा संसांधनों की व्यवस्था करें | शिक्षा संस्थानों का विस्तार कर उसे गाँवों तक पहुंचाएं | प्रत्येक दो किलोमीटर के भीतर एक विद्यालय अवश्य निर्मित करें | जिससे अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके |

          आतंकवाद की जड़ों को समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि हम देश की जनता में देश के प्रति लगाव पैदा करें ताकि कोई भी व्यक्ति इन आतंकवादियों को संरक्षण न दे | देश की सीमा को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाए ताकि कोई भी आतंकी इस देश की सीमा में प्रवेश न कर सके | नयी पीढ़ी को यह सिखाया जाए कि आतंक का कोई अंत नहीं है और यह एक नासूर है जो मानव सभ्यता के लिए खतरा है | हम स्वयं को सीमा पर लगे जवानों से प्रेरित करें ताकि हम स्वं को न भटकायें| इस बात को लोग समझें कि आतंक का कोई मजहब नहीं होता और न ही आतंक ,समाज को कोई दिशा दे सकता है | आतंकवाद की जड़ में ऐसे लोग लगे हैं जिन्हें उस खुदा , उस परमात्मा से भय नहीं है | वे स्वयं को खुदा समझते हैं और इस नयी पीढ़ी को भटका रहे हैं |

                आवश्यकता है देश की न्याय व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए | शहरों को CCTV से लैस किया जाए ताकि महिला अपराधों पर रोक लगाईं जा सके |  आज आवश्यकता इस बात की है कि घर – घर संस्कृति की बातें की जाएँ और बच्चों को संस्कारित किया जाए | ये बच्चे आने वाले कल को रोशन करें और इस देश की छवि को धूमिल होने से बचाएं |  जैसा कि हम जानते हैं किसी भी देश को उसकी संस्कृति और संस्कारों से जाना और पहचाना जाता है | देश में त्योहारों के प्रति लोगों में आत्मीयता एवं विश्वास जगाया जाए | ज्यादा से ज्यादा धार्मिक अनुष्ठान किये जाएँ | राष्ट्रीय त्योहारों को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाए | बच्चों को इन उत्सवों में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जाए | देश में लोगों के प्रति विश्वास जगाया जाए ताकि लोग देश हित में अपना योगदान दे सकें |

              नक्सलवाद और माओवाद पर रोक लगाई जाए |  देश की सुरक्षा में लगे नौजवानों के हित को भी ध्यान में रखा जाए और उनके परिवारों के प्रति भी रवैया ठीक हो ऐसी कोशिश की जाए | देश में सभी के विचारों को सुना जाए और देश हित में उनका प्रयोग किया जाए | कोशिश यह हो कि देश का माहौल शांत हो और अनावश्यक विषयों पर टिप्पणी न की जाएँ | जातिवाद को विशेष महत्त्व न देकर देश हित को सर्वोपरि समझा जाए | देश के गौरव पर आंच न आये ऐसे प्रयास किये जाएँ | हमारे नेता अपनी आपसी रंजिश को दूसरे देश के सामने न परोसें जिससे हमारे देश की छवि धूमिल हो | इस बात को लोग अपने दिल से मानें कि वे एक सुरक्षित माहौल में रह रहे हैं और उनको अपने देश से प्यार है |

                                इस लेख को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया |


Saturday 5 November 2016

क्या सपनों की भी कोई सीमा हो ? या फिर सपने कुछ ऐसे हों ?

क्या सपनों की भी कोई सीमा हो ? या फिर सपने कुछ ऐसे हों ?

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

विषय बहुत ही गहन है | इस विषय पर सरलता से कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता | बड़े   - बड़े  विषय विशेषज्ञ बच्चों को बड़े  -बड़े सपने देखने को प्रेरित करते हैं | सपने और वो भी बड़े देखना कोई गलत बात नहीं किन्तु उन सपनों को हासिल करने का मार्ग क्या हो ? इस बात की ओर कोई गौर नहीं करता |  इस बात का अवश्य ही आपके सपने पर असर पड़ सकता है | आपके चरित्र पर भी इसका अनुकूल या फिर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है | हम जानते हैं कि सपनों के लिए हैसियत मायने नहीं रखती | एक चलचित्र अदाकारा कहती हैं “ जीवन में कुछ पाने के लिए कुछ खोने को हमेशा तैयार रहना चाहिए “ अर्थात ऊपर उठने के लिए गिरना जरूरी है | किन्तु यह गिरना यदि आपके चरित्र को प्रभावित करे तो ऐसा सपना देखना बेमानी है और खुद से धोखा करना है |

                        बड़े सपनों के लिए सही मार्ग का चयन अतिआवश्यक है | बड़े सपनों तक पहुंचना , उन्हें हासिल करना हर एक के बस की बात नहीं है | इसलिए हो सके तो अपनी चादर के अनुसार पैर पसारा जाए तो अच्छा है | मैं आपको हतोत्साहित नहीं करना चाहता किन्तु यह कहना चाहता हूँ कि सपनों की भी सीमा होनी चाहिए | और इसलिए भी होना चाहिए क्योंकि जीवन की चारित्रिक विशेषता को जीवंत बनाये रखने का यही एकमात्र सरल व सुगम उपाय है |

                  दूसरों  को बिना हानि पहुंचाए , दूसरों को बिना रौंदे , किसी दूसरे को बिना कष्ट दिए , जो स्वप्न साकार किये जा सकते हैं उन्हें अवश्य देखना चाहिए | अक्सर देखा गया है कि सपने तो बड़े देख लिए जाते हैं किन्तु उन्हें हासिल करने के लिए जिस मार्ग का चयन किया जाता है वह मनुष्य की सामाजिक एवं चारित्रिक छवि को पूरी तरह से निगल जाता है | मनुष्य के सपने चूर  - चूर हो जाते हैं | वह स्वयं को संभाल नहीं पाता | आज परिस्थितियाँ पूरी तरह से परिवर्तित हो गयी हैं | आज स्वयं को स्थापित करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है | ऐसे में बड़े  - बड़े सपनों को हासिल करने के लिए छोटे  - छोटे सपनों से होकर गुजरना होता है | धीरे  - धीरे सीढियां चढ़कर खुद को संयमित रखते हुए ही उत्कर्ष की राह पर अग्रसर हुआ जा सकता है |

                  आज की युवा पीढ़ी की सबसे बड़ी समस्या है-  कम समय में कम प्रयासों से मंजिल प्राप्त करना,  फिर चाहे इसके लिए कोई भी मार्ग क्यों न अपना लिया जाये | मानव की सबसे बड़ी पूँजी उसका अपना चरित्र है और सामजिक प्रतिष्ठा जो उसे राष्ट्र की धरोहर साबित करता है , को अपने सपनों की पूर्ति के समय इन मानदंडों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए | जीवन में संयम और शान्ति से बड़ी कोई प्रतिभूति नहीं है | संपत्ति नहीं है |  जो मानव को उनके चरम सुख की अनुभूति करा सके | ये विलासितापूर्ण जीवन, ये भौतिक सुख आपके जीवन में आध्यात्मिक उत्कर्ष की प्राप्ति में बाधा साबित हो सकते हैं | अतः अपने सपनों में आध्यात्मिकता की सुगंधि का फ्लेवर जरूर छिड़क कर देखें | जीवन का उद्देश्य , जीवन के सत्य को समझना , जीवन के अंत के चरम सुख को प्राप्त करना है | यही जीवन का सबसे बड़ा सपना होना चाहिए , न कि भौतिक जगत के समंदर में अपने जीवन की आहुति डाली जाए | स्वयं को जीवन बनाये रखना , समाज व धर्म के कल्याण हित कार्य करना, स्वयं को समाज व राष्ट्र की धरोहर साबित करना ही जीवन का प्रमुख सपना व उद्देश्य या कह सकते हैं मंजिल होनी चाहिए |

                              स्वयं को दूसरों के लिए आदर्श रूप में स्थापित कर सकें | दूसरों को दिशा दे सकें | दूसरों के जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रेरणा  के स्रोत के रूप में स्वयं को स्थापित कर सकें | एक ऐसा व्यक्तित्व हो सकें जो सदियों हमारी उपस्थिति का आभास करा सके | इस दिशा में माता  - पिता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं | वे बचपन से ही ऐसे संस्कारों के बीज बच्चों में बोयें जो कि बच्चों को भौतिक सुख की बजाय आध्यात्मिक सुख प्राप्ति की ओर मुखरित कर सके | जीवन का लक्ष्य स्वयं का उद्धार होना चाहिए न कि भौतिक जगत का विस्तार |

                              स्वयं को बंधन में बांधें , संयम का पालन करें | आवश्यकताएं , अभिलाषाएं विशेष तौर पर भौतिक जगत के प्रति कुछ कम की रखें | स्वयं को आध्यात्मिक उत्कर्ष की ओर ले जाएँ | आध्यात्मिक विकास के मार्ग के सपनों की कोई सीमा नहीं होती | और न ही यह पतन का कारण बनता है | दूसरी ओर भौतिक लालसाओं के सागर में डूबने से मानव अपने पतन और अपने अंत को प्राप्त होता है | अतः आप आध्यात्मिक अभिनन्दन मार्ग की ओर प्रस्थित हों यही मेरी शुभ कामना है |


Tuesday 20 September 2016

आपके सुनियोजित प्रयास आपकी सफलता के पर्याय द्वारा अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

आपके सुनियोजित प्रयास
आपकी सफलता के पर्याय

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

प्रयास अर्थात कोशिश और सफलता अर्थात उद्देश्य को प्राप्त कर लेना या फिर कहें मंजिल तक पहुंचना ये दोनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं | किसी भी कार्य का सफल होना मुख्यतया सुनियोजित  तरीके से किये गए प्रयास का प्रतिफल होता है | अपने उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता , अपने उद्देश्य के प्रति प्रतिपल जागरूक रहना अति आवश्यक होता है | किसी भी कार्य को करने से पहले योजना बनाना अति महत्वपूर्ण है | योजना बनाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए जैसे कि किन – किन संसाधनों की आवश्यकता होगी, कार्य पूर्ण करने की समयावधि कार्य पर कुल व्यय कितना होगा, क्या विषय विशेषज्ञ की आवश्यकता महसूस होगी या फिर किसी मार्गदर्शक की आवश्यकता होगी | यह आवश्यक है कि कुछ सफल व्यक्तियों की सफलता के राज अवश्य पढ़ें , उनकी कार्यशैली का अध्ययन करें यह आपके लिए बहुत ही जरूरी है | किन्तु अपनी एक अलग कार्यशैली विकसित करें | दूसरों की नक़ल करना आवश्यक नहीं | स्वयं को सकारात्मक सोच से पोषित करते रहें | कार्य के प्रति अनुशासन बनाये रखें | स्वयं पर निर्भरता ज्यादा हो तो अच्छा है |   दूसरों पर निर्भरता कम हो तो अच्छा हो | अपने प्रयासों को कुछ हटकर दिशा दें ताकि सफलता की गारंटी सौ प्रतिशत हो सके |

                     आज का युग प्रतियोगिता का युग है | हर एक व्यक्ति का यह प्रयास होता है कि वह दूसरों से आगे निकल सके | आपके प्रयास सही मार्ग से होकर गुजरें इस बात का ध्यान अवश्य रहिये | शॉर्टकट से बचें | उद्देश्य की प्राप्ति में किये जाने वाले प्रयास सौ प्रतिशत सही मार्ग के चयन के साथ करें | ताकि आपको शर्मिन्दा न होना पड़े | समय के साथ चलें स्वयं को बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न करें | और नयी - नयी चीज़ें अवश्य सीखते रहें | जैसे मातृभाषा के साथ – साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की कम से कम एक भाषा अवश्य सीखें जो कि आपके प्रयासों में , कोशिशों में आपकी साथी हो सके|

              अपने प्रयासों में आवश्यक हो तो दूसरों की राय या सुझावों पर एक बार विचार अवश्य करें हो सकता है कोई ऐसा रास्ता आपको मिल जाए जो आपको आपकी मंजिल की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके | इन लोगों में आपके अपने माता – पिता , भाई – बहन , दोस्त व आसपास के उन लोगों को आप शामिल कर सकते हैं जिन पर आपको विश्वास हो |कभी – कभी ऐसा भी हो सकता है कि जिस मार्ग से होकर आप आगे बढ़ना चाहते हों वह मार्ग आपको सही दिशा न दे सके | ऐसे में आपके आसपास के लोग आपके उद्देश्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं |

                     आपके प्रयास तभी कारगर साबित हो सकते हैं जब आप कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें | जिनमे से कुछ इस प्रकार हैं :-

·       स्वयं को हमेशा उत्साहित बनाए रखें | इसके लिए आवश्यक है कि आप स्वयं पर विश्वास करें |

·       हमेशा सकारात्मक सोच का साथ लें | यदि एक बार असफलता हाथ आती है तो भी अपने प्रयासों को जीवंत बनाए रखें |

·       स्वयं को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाएं | नयी – नयी जानकारियाँ प्राप्त करते रहें | स्वयं को अलग  - अलग विधाओं का धनी बनाने की ओर अग्रसर रहें |

·       अलग  - अलग  विषयों पर जानकारी एकत्रित करते रहें | छोटे  - छोटे अंतराल के कोर्सेज करते रहें |

·       समय प्रबंधन एवं इवेंट मैनेजमेंट पर किताबें अवश्य पढ़ें | समय बहुत कीमती होता है यह हम सब जानते हैं इसलिए आवश्यक है कि हम किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समय को बहुत ही ज्यादा महत्त्व दें | इस हेतु जितनी अच्छी आपकी योजना होगी उतने ही अच्छे परिणाम आपको प्राप्त होंगे |

·       सफल व्यक्तियों के सुझावों का अध्ययन करें | यह आवश्यक है कि हम उन महान विभूतियों के जीवन संस्मरणों का अध्ययन करें जो हमें ऊर्ज़ा के साथ  - साथ जिन्दगी में सफल कैसे हों यह बता सके |  

·       एक से ज्यादा भाषाओं पर ध्यान केन्द्रित करें व उन्हें सीखें | आज ग्लोबल स्तर पर सारे कार्य या प्रयास किये जाते हैं अतः आवश्यक है कि हम ग्लोबल स्तर की एक या दो भाषाओं का ज्ञान अवश्य प्राप्त करें |

·       स्वयं को धार्मिक विचारों से पोषित करते रहें ताकि सदमार्ग पर चलकर आप अपनी मंजिल प्राप्त कर सकें | स्वयं को संतुलित एवं नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है कि हम धार्मिक अनुष्ठानों से स्वयं को जोड़कर रखें | यह हमारे मन में सकारात्मक ऊर्ज़ा का प्रवाह करेगा | हमें भटकने से रोकेगा  और हम सही मार्ग पर आगे बढ़ते रहेंगे |

·       दूसरों से प्रतियोगिता करें न कि उन्हें गिराकर आगे बढ़ें | आज की पीढ़ी की एक ही समस्या है वह यह कि उन्हें इंतज़ार बर्दाश्त नहीं है | वे समय से पहले ही सब कुछ प्राप्त कर लेना चाहते हैं चाहे वे उनकी आयु के हिसाब से उसके योग्य न भी हों |

·       स्वस्थ विचारों व सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण किताबों का संकलन करें | जीवन में स्वयं पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक है कि हम हमारे आसपास कुछ ऐसी कृतियों का संकलन करें जो हमें दिशा दे सके  और हमारे विचारों को स्वस्थ बनाये रखने में हमारी मदद कर सके |

·       सफल व्यक्तियों की जीवनी का अध्ययन करें | यह आपको सही मार्ग की ओर प्रस्थित करेगा | जीवन में कर्म और प्रयासों की भूमिका कितनी आवश्यक है इस बात को जानने के लिए महँ विभूतियों की जीवनी का आचमन अति आवश्यक है | यह हमें सही मार्ग का चयन कर सही दिशा की ओर प्रस्थित करने में हमारी मदद करेगा |

·       स्वयं पर नियंत्रण बनाए रखें व शांत रहने के लिए मैडिटेशन का सहारा अवश्य लें | योगा एवं आध्यात्म का सहारा लेकर ही हम स्वयं को सही दिशा की ओर ले जा सके हैं | यह हमारे मानसिक एवं शारीरिक स्थिरता के लिए अति आवश्यक है | तन है तो धन है इस बात से हम सब परिचित हैं |

·       स्वयं को शारीरिक व मानसिक  तौर पर स्वस्थ रखें | यह आपको ऊर्ज़ा प्रदान करेगा | इसके लिए आपके विचारों का स्वस्थ होना अति आवश्यक है | साथ ही आप सादा जीवन और उच्च विचार जैसे सिद्धांतों पर विशवास करें यह आपके लिए अति उत्तम होगा |

·       जिन्दगी में बड़ों का सम्मान हमेशा करें | व उनके आशीर्वाद से स्वयं को पोषित करें | कोई भी व्यक्ति बड़ों के आशीर्वाद के बिना एक पग भी नहीं चल सकता | इस बात को हम अपने जीवन में गाँठ बांधकर रख लें तो अच्छा होगा | आप आने वाली पीढ़ी में भी यही संस्कार विकसित करने का प्रयास करें |


·       धार्मिक व सामाजिक कार्यों में भी स्वयं को व्यस्त कर आप अपने भीतर सकारात्मक सोच का विस्तार कर सकते हैं | सामाजिक कार्य हमें केवल ख़ुशी नहीं देते अपितु वे हमारे भीतर कुछ अच्छा करते रहने की भावना को बल देते हैं | दुनिया को सुन्दर और जीवंत बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है हम धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों से स्वयं को पोषित करते रहें |

·       प्रेरणादायक विचारों का संग्रह अवश्य करें | जब भी आप अवसादग्रस्त हों इन विचारों का आचमन करें | आजकल के इस कष्ट और मुसीबतों से भरे दौर में आवश्यक है कि हम स्वयं को प्रेरणादायी विचारों से पोषित करते रहें | 

·       शॉर्टकट के बारे में अपने मन में विचार न आने दें | जिन्दगी में आगे बढ़ने का एक ही सरल और सफल माध्यम है कि आप जिन्दगी में सीढ़ियों को चढ़कर ही आगे बढ़ने का हौसला बनाए रखें | छोटे रास्ते से हासिल की गयी सफलता ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकती |

·       एक बार की असफलता को जीवन की अंतिम असफलता मानने की गलती न करें | जीवन बहुत ही मूल्यवान है आप स्वयं के लिए नहीं जीना चाहते तो आप दूसरों के हित स्वयं को समर्पित तो कर ही सकते हैं | जीवन से हार कभी न मानें | एक बार असफल होने से जिन्दगी समाप्त नहीं हो जाती | बार  - बार प्रयास करें आज नहीं तो कल सफलता आपके हाथ आएगी ही |

·       प्रेरणादायी वीडियोज का संग्रह करें | समय  - समय पर इन्हें देखें | इससे आपको ऊर्ज़ा प्राप्त होगी |

उपरोक्त बातों को यदि आप अपनी जिन्दगी का हिस्सा बना लेते हैं तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता | और आप एक अच्छे इंसान भी बने रह सकते हैं | आपके सुनियोजित प्रयास आपके उद्देश्य की प्राप्ति का आधार तो बनेंगे ही साथ ही आप दूसरों की जिन्दगी में यदि उपयोगी साबित हो सकते हैं दूसरों की मदद करके |

                           आपके सुनियोजित प्रयास आपकी सफलता का पर्याय हो जाएँ ऐसी हमारी शुभ इच्छा है | सुनियोजित तरीके से किया गया कोई भी कार्य असफल नहीं होता और हमेशा अपेक्षित परिणाम ही देता है |

       इस लेख को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया |