Friday, 27 October 2017

नायक - एक सद्विचार




शालीनता - एक सद्विचार




Monday, 9 October 2017

परमेश्वर का एहसास करने के एकदम सरल उपाय - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

परमेश्वर का एहसास करने के एकदम सरल उपाय

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

परमेश्वर के होने का एहसास एक ऐसा चरमपूर्ण एहसास है जो मानव को उस ख़ुशी के माध्यम से परिलक्षित करता है जिसके प्राप्त होने पर मानव स्वयं के मानव होने पर गर्वित होता है | उसकी आँखों से अश्रु छलक पड़ते हैं | इस अनुभूति को वह शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता | उसके शरीर एवं आत्मा का रोम  - रोम खिल उठता है | वह स्वयं को रोमांचित महसूस करने लगता है | इस लेख के माध्यम से मैं आपका उस परमेश्वर के साथ भौतिक साक्षात्कार की बात नहीं कर रहा हूँ अपितु मैं आपके जीवन के कुछ उन पलों या कहें तो सत्कर्मों की चर्चा कर रहा हूँ जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने से चूक जाते हैं , अज्ञानतावश या फिर कहें तो आलसवश |
                  यह वह चरम अनुभूति है , परम सुख है, जो हमारे छोटे  - छोटे शुभ प्रयासों के प्रतिफलस्वरूप हमारे सामने दृष्टिगोचर होता है और हमें ताउम्र इस प्रकार के चरम सुख की अनुभूति कराता है | किसी सत्कर्म के माध्यम से किये गए प्रयास के प्रतिफलस्वरूप जो हमें असीम आनंद की प्राप्ति होती है वही हमारा परमेश्वर के साथ मिलन का अदभुत क्षण होता है | इस आनंद के सामने दुनिया के समस्त सुख फीके लगने लगते हैं | जीवन में एक बार इस प्रकार की अनुभूति होने के पश्चात मानव स्वयं को इन्हीं सत्कर्मों की ओर समर्पित कर देता है | उसके लिए भौतिक जगत नगण्य हो जाता है और वह आध्यात्म के पथ पर अग्रसर होने लगता है |

                  सदियों से ही मानव की जिज्ञासा का केंद्र बिंदु रहा है  - आध्यात्म | अर्थात इन सांसारिक बंधनों से स्वयं को मुक्त कर स्वयं के उद्धार हित कुछ ऐसे प्रयास किये जाएँ जो हमारा इस मानव शरीर से उद्धार कर उस परमेश्वर की शरण में स्वयं को स्थापित कर सकें | उसकी अगले जन्म में मानव होने की लालसा समाप्त हो जाए वह बंधन मुक्त हो उस परमात्मा की शरण में स्वयं को पाकर अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सके |

                  आइये ऐसे ही कुछ प्रयासों या सत्कर्मों की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करें जो हमारी मुक्ति का साधन हो उस परमपूज्य परमेश्वर से हमारा साक्षात्कार करा सके :-

1.  किसी नवजात शिशु ( जो कि आपका अपना रक्त न हो ) के चेहरे पर एक भीनी   - भीनी मुस्कान लाकर देखिये और महसूस कीजिये कि आपके इस प्रयास ने आपको किस प्रकार से आनंदित किया | कहीं यह वही ख़ुशी तो नहीं जिसकी आप तलाश में हैं | कहीं आप इस नन्ही मुस्कान के माध्यम से आप अदृश्य शक्ति का आभास तो नहीं कर रहे ? यह नन्ही मुस्कान आपके सफल होने की कामना अवश्य करेगी इस सोच को अपने जीवन का हिस्सा अवश्य बनाएं |

2. अपने जीवन में कम से कम एक बार किसी वृद्धाश्रम का भ्रमण अवश्य करें और कोशिश कर किसी अनाथ माँ  - बाप के साथ दो पल बात करें | यह वही स्थिति है जहां आपको अपने जीवन का सत्य समझ आ जायेगा और आपके माता  - पिता के प्रति आपकी श्रद्धा और बढ़ जायेगी | यह वह अवस्था होगी जो आपको इस भौतिक जगत से दूर उस परमेश्वर की शरण में जाने को बाध्य कर देगी | हो सके तो ऐसे अनाथ माँ  - बाप के लिए अपनी श्रद्धा एवं सामर्थ्य के अनुसार त्याग अवश्य करें | इससे मिलने वाली ख़ुशी आपके जीवन को एक अर्थ अवश्य प्रदान करेगी | आपने मन में अपने रिश्तों के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण का भाव जागेगा जो आपको एक पूर्ण मानव बनने में आपकी मदद करेगा |

3.  अपने मन में सात्विक विचारों को जगह अवश्य दें और आपकी कोशिश हो कि आपके आसपास के लोग इन सात्विक विचारों को अपनी जिन्दगी का अहम हिस्सा बनाएं | सात्विक विचारों से परिपूर्ण जीवन आपको हर क्षण एक अदृश्य ऊर्जा से ओतप्रोत करेगा | आपके मन में हमेशा ही कुछ ऐसा करने की इच्छा जागृत होगी जिससे आपके आसपास के लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अवश्य लाभ पहुंचाएगी | इन सात्विक विचारों से आने वाली पीढ़ी को अवश्य पोषित करें | आप स्वयं को परमेश्वर की छत्रछाया में सुरक्षित महसूस करेंगे |

4.  कभी जल्दी में या कभी आलसवश हम सड़क के बीच पड़े पत्थर को देखने के पश्चात भी उठाना भूल जाते हैं जबकि हमें यह मालूम है कि इससे किसी को जानमाल का नुक्सान हो सकता है | हम यह कोशिश करें कि हमारे जीवन के दो पल यदि किसी की जिन्दगी बचा सकते हैं तो यह प्रयास हम क्यों न करें | कोशिश कर एक बार इस शुभ कार्य को करके देखिये | आपको ऐसे शुभ प्रयासों की आदत हो जायेगी | क्योंकि एक बार इससे मिलने वाले असीम सुख को जब आप महसूस करने लगेंगे तो आप स्वयं ही स्वयं को ऐसे शुभ कार्यों के लिए प्रेरित करने लगेंगे |

5.  आपको लगता है कि आप सक्षम हैं तो एक बार किसी भूखे को ( जिसे आप वास्तविकता में इस योग्य समझते हैं ) एक वक़्त का भोजन कराकर देखिये |  इस पुण्य एवं सात्विक कर्म में मिलने वाले सुख की अनुभूति करके देखिये | हो सकता है मानव रूप लेकर स्वयं प्रभु ही आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहे हों |  उस भूखे व्यक्ति की दुआएं आपकी बुरे वक़्त में आपकी रक्षा करेंगी यह सबसे बड़ा सत्य है | “दया धर्म का मूल है , पाप मूल अभिमान “ इस सद्विचार को अपने जीवन में जगह दें |

6.  इस प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है इस बात से हम अनभिज्ञ नहीं हैं | अतः हमारा भी यह परम कर्तव्य हो जाता है कि हम इस प्रकृति को कुछ सौगात अवश्य देकर इस दुनिया से अलविदा कहें | इस धरा पर कुछ पौधे अवश्य लगाएं | इस पर लगने वाली कोपलों से बात करें , फूलों से बात करें | भीनी  - भीनी खुशबू से स्वयं को आनंदित महसूस करें | महसूस करें कि एक नन्हे पौधे को पेड़ बनाने में कितने प्रयास करने होते हैं | यह प्रयास आपको एक अलग ही आनंद प्रदान करेगा | इससे मिलने वाली ऑक्सीजन से कितने ही जीवों का भला होगा | इसकी खुशबू कितनों को आनंदित करेगी | क्या यह प्रयास आपको उस परमात्मा के नज़दीक नहीं ले जाएगा | इस विचार पर गौर करके देखिये |

7.  आप अपने जीवन की व्यस्तता में से कुछ क्षण इस बात के लिए निकालिए जहां आप केवल और केवल स्वयं के उद्धार हेतु प्रयास करें और यह प्रयास है कि आप किसी देवालय , गुरद्वारा , मस्जिद , चर्च आदि जो आपके लिए परम पवित्र स्थान है वहां स्वयं को प्राणायाम की स्थिति में केवल और केवल पांच मिनट के लिए इस भौतिक विश्व से दूर , रिश्तों से दूर ले जाकर स्वयं के अस्तित्व का चिंतन करें |  यह चिंतन आपको आपके मानव होने का एहसास कराएगा | आप इस बात का भी चिंतन कर पायेंगे कि मैंने इस जगत से क्या पाया और मैंने इस जगत को क्या दिया | यह एहसास ही आपके उस परम तत्व से मिलन का वह असीम सुख होगा जिसका आप स्वयं भी शब्दों में वर्णन नहीं कर पायेंगे | एक बार कोशिश कर देखिये |

8.  स्वयं को मानवतावादी विचारों से पोषित कर इस विश्व को प्राणियों के रहने योग्य बना सकते हैं | यह मानव की वह विशेषता है जो मानव को मानव से जोड़ती है और उसके मन में जीवों के प्रति प्रेम एवं करुणा का भाव उत्पन्न करती है | इस भावना से ओतप्रोत मानव स्वयं को हमेशा ही प्रफुल्लित पाता है और जीवन भर इसी भावना को अपने जीवन की धरोहर बना लेता है | मानवतापूर्ण प्रयास हमें असीम सुख का अनुभव कराते हैं और जीवन के चरितार्थ होने क आभास देते हैं |

9.  कोशिश कर यह प्रयास करें कि आपके हाथों से सभी ऋतुओं में पानी एवं अनाज के कुछ दाने पक्षियों को नसीब हों | पक्षियों का दाना चुनना एवं पानी के बर्तन में चोंच डालकर पानी पीना एक ऐसा दृश्य है जो हमारे द्वारा सात्विक प्रयास के माध्यम से किये गए सत्कर्म से हमारी आत्मा को उस चरम सुख की अनुभूति कराता है जहां मनुष्य के मन में इन सत्कर्मों को करते रहने की प्रेरणा मिलती है | एक नियत समय पर पक्षियों का इन दानों एवं पानी के लिए इंतजार भी हमें प्रोत्साहित करता है कि हम नियत समय से ही पूर्व अपने इस सत्कर्म को पूर्ण करें | ऐसे ही किसी दृश्य का आनंद उठाकर देखिये और अपने मानव होने पर गर्व महसूस कीजिये |

10.            किसी राहगीर को उसकी मंजिल या राह की ओर अग्रसर या उसका मार्गदर्शन करके देखिये | यह एक ऐसी स्थिति होती है जहां भटक रहा राही अपनी मंजिल को पाने के लिए मानसिक एवं शारीरिक तौर से कष्ट से जूझ रहा होता है ऐसी दशा में यदि आप उसकी मदद करते हैं तो इससे बढ़कर दुनिया में कोई भी कार्य श्रेष्ठ नहीं है | ऐसे ही किसी व्यक्ति की एक बार मदद कर देखिये और महसूस कीजिये कि आपके द्वारा किया गया यह सत्कर्म आपको किस प्रकार की अनुभूति देता है |

11.            किसी दिव्यांग को सड़क पार कराकर भी आप उस चरम सुख की अनुभूति कर सकते हैं जो आपको लाखों रुपये दानकर भी नहीं हो सकती |

                         उपरोक्त सभी सत्कर्मों से आप सभी पहले से ही अवगत हैं ऐसी मेरी आप सबसे अपेक्षा है | इनके अलावा भी जीवन में और भी बहुत कुछ अच्छा करने को है जिसके माध्यम से हम इस जहां को एक खूबसूरत बना सकते हैं | इन सभी सत्कर्मों में से कुछ को भी अपने जीवन का आधार बनाकर हम अपने जीवन को चरितार्थ कर सकते हैं | आइये बढ़ें एक ऐसे आसमां की ओर जहां से ये सारी दुनिया खूबसूरत नज़र आये | आइये कुछ ऐसा करें ये दुनिया जीने का मकसद हो जाए |

(इस लेख को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया )