स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय
संगठन का
योगदान
द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केन्द्रीय विद्यालय बी एस एफ
रामपुरा ( फाजिल्का )
भूमिका :-
केंद्रीय विद्यालय संगठन
देश का एक प्रमुख संगठन है जो कि सम्पूर्ण भारत में करीब 1100 विद्यालयों के माध्यम
से विद्यालय स्तर पर शिक्षा सुविधा (प्राथमिक, माध्यमिक एवं हायर सेकेंडरी )
प्रदान कर रहा है |
1965 में इस संगठन की स्थापना हुई थी यह संगठन केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेश
में भी यह शिक्षा प्रदान कर रहा है | 31.03.2013
की स्थिति के अनुसार आज केंद्रीय विद्यालय संगठन में करीब 11,21,012 विद्यार्थी अध्ययन कर
रहे हैं और करीब 56445 ( दिनांक 01.10.2012 के अनुसार ) कर्मचारी सेवारत हैं | इस संगठन में बच्चों
में शैक्षिक श्रेष्ठ्ता, भारतीयता की भावना , राष्ट्रीय एकता और समग्र व्यक्तित्व
के विकास के अवसर उपलब्ध होते हैं | ये विद्यालय प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर
माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ्ता के केंद्र के रूप में जाने जाते हैं |
केंद्रीय
विद्यालय का मिशन :-
केंद्रीय
विद्यालय मुख्यतया चार मिशन के साथ आगे बढ़ रहा है :-
१.केंद्रीय सरकार के स्थानान्तरणीय कर्मचारियों जिनमे रक्षा तथा अर्धसैनिक बलों के कर्मी भी
शामिल है , के बच्चों को शिक्षा के सामान्य कार्यक्रम के तहत शिक्षा प्रदान कर उनकी
शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करना |
२.विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ्ता और गति निर्धारित करना |
३.केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी बी एस ई ) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान
एवं प्रशिक्षण परिषद् ( एन सी ई आर टी ) इत्यादि जैसे अन्य निकायों के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र में नए –
नए प्रयोग तथा नवाचार को सम्मिलित करना |
४.बच्चों में राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना का विकास करना |
केंद्रीय विद्यालय की प्रमुख विशेषतायें :-
१.सभी केंद्रीय
विद्यालयों में सामान पाठ्यक्रम तथा द्विभाषी माध्यम से शिक्षण |
२.सभी केंद्रीय विद्यालय सी बी एस ई
से सम्बंधित हैं |
३.सभी केंद्रीय विद्यालय सः शिक्षा व
मिश्रित विद्यालय हैं |
४.सभी केन्द्रिय विद्यालय में कक्षा
छः से आठ तक संस्कृत पढ़ाई जाती है |
५.समुचित शिक्षक विद्यार्थी अनुपात
द्वारा शिक्षण की गुणवत्ता को उच्च रखा जाता है |
६.शिक्षकों के विकास का पूरा – पूरा
ध्यान रखा जाता है | शैक्षिक स्तर पर , बौद्धिक स्तर पर एवं पदीय स्तर पर|
केंद्रीय
विद्यालय संगठन द्वारा वर्ष भर संपन्न की जाने वाली शैक्षिकीय एवं गैर – शिक्षकीय
गतिविधियाँ :-
केंद्रीय
विद्यालय संगठन द्वारा वर्ष भर विभिन्न शैक्षिक एवं गैर – शिक्षकीय गतिविधियाँ
आयोजित की जाती हैं जो इस प्रकार हैं :-
1.सामजिक
विज्ञान विषय पर प्रदर्शनी ( क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर )
2.विज्ञान
विषय पर प्रदर्शनी ( क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर )
3. गणित
विषय पर ओलिंपियाड
4.स्काउट
एवं गाइड्स कैंप ( तृतीय सोपान , राज्य पुरस्कार एवं राष्ट्रीय पुरस्कार )
5.साहसिक
कैंप ( राष्ट्रीय साहसिक संस्थान , पचमढ़ी )
6.यूथ
पार्लियामेंट ( युवा संसद )
7.सेवा
काल के दौरान कार्यशाला , इन – सर्विस कोर्सेज
8.ई –
ग्रंथालय पर विशेष कार्यशाला
9.सी सी
ई विषय पर कार्यशाला
१०. पुरातत्व
एवं सांस्कृतिक ,धार्मिक स्थलों का भ्रमण
११. ई सी टी
एल टी एक प्रमुख शैक्षिक उपकरण के रूप में जो सभी के वी टीचर्स को एक प्लेटफोर्म
उपलब्ध करवाता है
१२. लाइफ स्किल्स पर कार्यशालाओं का आयोजन
१३. पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का आयोजन | रेफ्रेशेर
कोर्स
१४. सामाजिक कार्यों हेतु फंडिंग
१५. राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद गतिविधियों का आयोजन
स्कूली
शिक्षा क्षेत्र मै केंद्रीय विद्यालय संगठन अनेकता में एकता का प्रतीक के रूप में
तो वहीं संस्कृति के प्रचारक के रूप में :-
केंद्रीय विद्यालय संगठन की सबसे मुख्या विशेषता इसके पाठ्यक्रम के संचालन में
है | वार्षिक गतिविधियों को इस तरह से तैयार किया जाता है जिससे साल भर बच्चों को
नयी – नयी जानकारी एवं गतिविधियों की पूर्ण जानकारी हो सके एवं वे इन गतिविधियों
में पूरे उत्साह के साथ भाग ले सकें | केंद्रीय विद्यालय में आयोजित की जाने वाली
गतिविधियाँ बच्चों की उम्र व योग्यता के हिसाब से तैयार की जाती हैं ताकि सभी
बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा – पूरा अवसर मिल सके |
इस संगठन
में जो मुख्य बात निकल कर हमारे सामने आती है वो है यहाँ के शिक्षकों की योग्यता
एवं उनकी अन्य विशेषतायें जो उनको दूसरे
संस्थानों से अलग करती है | केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों में केवल
शिक्षण प्रक्रिया के प्रति ही रुचि नहीं होती बल्कि वे अन्य क्षेत्रों में भी अपनी
पैठ रखते हैं जैसे स्काउट एवं गाइड्स, साहसिक कार्यक्रम , सांस्कृतिक गतिविधियाँ ,
विभिन्न आयोजित की जाने वालीं प्रतियोगितायें जैसे मैथ ओलिंपियाड , साइंस कांग्रेस
, यूथ पार्लियामेंट , स्पोर्ट्स एंड गेम्स , समय – समय पर आयोजित किये जाने वाले
इन –सर्विस कोर्सेज , कार्यशालायें , कंप्यूटर से सम्बंधित कोर्सेज एवं
वोर्क्शोप्स इत्यादि – इत्यादि |केंद्रीय विद्यालय संगठन की प्रमुख विशेषतायें कुछ
इस प्रकार हैं:-
१.विद्यार्थियों में शिक्षा के महत्व पर बल :-
केंद्रीय
विद्यालय संगठन का हमेशा से यह प्रयास रहा है कि बच्चों में शिक्षा के प्रति
आकर्षण की भावना हो | जब तक बच्चे शिक्षा के प्रति लगाव नहीं प्रस्तुत करते उनके
लिए शिक्षा के सारे प्रयास विफल हो सकते हैं | किसी भी कार्य के प्रति लगाव एवं
श्रद्धा से ही मंजिल प्राप्त की जा सकती है चाहे फिर वह किसी भी क्षेत्र में हो |
२..विद्यार्थियों एवं शिक्षकों में चारित्रिक विचारों
के समावेश पर जोर:-
केंद्रीय
विदयालय संगठन ने हमेशा से ही यह प्रयास किया है अपनी वार्षिक गतिविधियों के
माध्यम से कि बच्चों के मन में चारित्रिक विशेषताओं को जगह दी जाए इसके लिए वर्ष
भर भारतीय एवम विश्व स्तर के दार्शनिकों , शिक्षाविदों, महान व्यक्तित्वों एवं
लेखकों के जन्मदिवस पूरी श्रद्धा के साथ मनाये जाते हैं | उनके द्वारा स्थापित
किये गए आदर्शों को जीवन में अपनाने हेतु बच्चों को प्रेरित किया जाता है |
३.विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों (Moral Values)का संचार:-
विद्यार्थियों
में नैतिक मूल्यों का संचार करना के वी एस का प्रथम उद्देश्य रहा है | इस हेतु
विद्यालयों में साल भर विभिन्न दिवसों एवं अवसरों पर नाटक मंचन, संस्कृति परीक्षा के आयोजन के माध्यम से एवं धार्मिक स्थलों के
भ्रमण के माध्यम से बच्चों में नैतिक मूल्यों का संचार करने का प्रयास किया जाता
है |
४.की वी एस एक संस्कृति के प्रचारक के रूप में :-
अलग – अलग प्रान्तों, धर्म , जाति , वंश , संस्कृति एवं संस्कारों के बच्चे केंद्रीय विद्यालय में
प्रवेश लेते हैं जिससे विद्यालय में विभिन्न समुदायों एवं संस्कृति के बच्चों के
बीच तालमेल बैठाने का प्रयास किया जाता है एवं उन्हें एक – दूसरे के धर्म के प्रति लगाव एवं सम्मान की भावना का विकास
किया जाता है | बच्चों को
इस तरह से सभी धर्मों के प्रति एवं उनके व्यवहार , खान – पान , वेशभूषा , रहन – सहन की जानकारी प्राप्त होती है | वर्ष भर विद्यालय में संस्कृतिक गतिविधयां आयोजित की जाती हैं जिसके फलस्वरूप
बच्चे अलग – अलग संस्कृतिक विचारों , धरोहरों, भाषाओं आदि के बारे में जान पाते
हैं| महावीर जैन , गौतम बुद्ध , जीसस क्राइस्ट , गुरुनानक , हिन्दू धर्म एवं
मुस्लिम धर्म की मान्यताओं को व उनके विचारों को प्रचारित एवं प्रसारित करने का
प्रयास किया जाता है
५.साम्प्रदायिक एकता (Communal Harmony)को बल पर जोर :-
के वी एस उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्रणाली के क्षेत्र में
एकमात्र ऐसी संस्था है जो बिना किसी भेदभाव के , बिना किसी जातिगत , धर्म , लिंग , वंश भेदभाव किये सभी विद्यार्थियों को प्रवेश देती है | भारत में मनाये जाने वाले सभी राष्ट्रीय एवं धार्मिक
त्योहारों को के वी एस ने अपनी शिक्षा प्रणाली का ख़ास हिस्सा बनाया है |
के
वी एस ने प्रवेश की एक विशेष नीति अपनाई है जिसमे भारतीय संविधान का पूरा – पूरा सम्मान करते हुए अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , पिछड़ा वर्ग , शारीरिक रूप से अक्षम विद्यार्थियों को भी प्रवेश दिया जाता
है |
६.शिक्षण संसाधनों के विकास (Infrastructure Development)पर विशेष प्रयास :-
वर्तमान शिक्षण प्रणाली के अनुसार विद्यालयों में सभी प्रकार के आधनिक उपकरणों
की उपलब्धी निश्चित करने के बारे में केंद्रीय व्दियालय संगठन काफी सतर्क है अतियाधुनिक
उपकरणों के माध्यम से शिक्षण कार्य संभव हो यह सुनिश्चित करने के पूरे प्रयास
संगठन द्वारा किये जा रहे हैं और इसमें काफी हद तक सफलता प्राप्त की जा सकी है| यहाँ
आधुनिक शिक्षा मानकों के हिसाब से आधुनिक
उपकरणों की सहायता से शिक्षण कार्य किया जाता है ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास
हो सके |
७.आधुनिक शिक्षा पद्दतियों (Current Educational Trends)का समावेश:-
एन सी ई
आर टी एवं सी बी एस ई द्वारा दी जाने वाली अनुशंसाओं को केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा
समय – समय पर लागू किया जाता है एवं शिक्षा पर शोध के माध्यम से आने वाले अनुभवों
को केंद्रीय विदयालय संगठन अपने पाठ्यक्रम का मुख्य हिस्सा बनाने में कभी भी पीछे
नहीं रहता | इस हेतु समय-समय पर शिक्षकों के बौद्धिक एवम शैक्षिक विकास के लिए
कार्यशालाओं एवं पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किये जाते हैं| तकनीकी का उपयोग
केंद्रीय विद्यालयों में अब आम बात हो चुकी है | इंटरैक्टिव बोर्ड भी आज बहुत से
केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य हेतु उपयोग में लाये जा रहे हैं| कंप्यूटर
एवं इन्टरनेट का उपयोग शिक्षण का हिस्सा बन गया है|
८.विद्यार्थियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास (Personality Development) के प्रयास:-
केंद्रीय विद्यालय संगठन की वार्षिक गतिविधियों को इस प्रकार से नियोजित किया
जाता है जिसके माध्यम से बच्चों को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी योग्यता
दिखाने एवं सीखने के सामान अवसर प्राप्त होते हैं | जीवन जीने की कला के साथ- साथ
बच्चों में अनुशासित जीवन कैसे जिया जाए इस ओर विशेष ध्यान दिया जाता है | इस
कार्य हेतु विशेषज्ञों की सलाह ली जाती है एवं समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किये
जाते हैं | संगठन ने विद्यालयों में इस कार्य हेतु शैक्षिक सलाहकारों की नियुक्ति
के आदेश जारी कर दिए हैं |
९.जीवन जीने की कला (Art of Living) के प्रचार एवं प्रसार पर जोर:-
वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए संगठन ने इस बात पर विशेष जोर दिया
है जिसके माध्यम से बच्चों में जीवन को कैसे सुनियोजित तरीके से जिया जाए इस विषय
पर समय-समय पर विशेषज्ञों की सलाह ली जाती है एवं साथ ही साथ विभिन्न कार्यक्रमों
को आयोजित किया जाता है | देश के महान संतों , दार्शनिकों के जीवन मूल्यों को
बच्चों तक पहुंचाया जाता है साथ ही साथ बच्चों के दैनिक जीवन में योगाभ्यास किस
तरह से महत्वपूर्ण भामिका निभा सकता है इस पर बल दिया जाता है |
१०.समय प्रबंधन (Time Management)पर बच्चों में जाग्रति :-
समय प्रबंधन जिसके बिना जीवन में कोई भी सफलता हासिल नहीं की जा सकती इस विषय
को संगठन ने हमेशा से ही विशेष तवज्जो दी है इस कार्य हेतु समय – समय पर
कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है इस कार्य में संगठन ने बहुत हद तक सफलता भी
प्राप्त की है | पढ़ाई के साथ – साथ जीवन में अन्य सभी कार्यों को कैसे सुनियोजित
किया जाए इस विषय पर बच्चों को मार्गदर्शित करने के प्रयास किये जाते हैं |
११.भविष्य निर्माण (Career Counseling) के क्षेत्र में प्रयास:-
बच्चों के किसी विषय ख़ास के प्रति रुझान को देखते हुए उन्हें भविष्य में किस
विशेष विषय के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखनी चाहिए इस हेतु मार्गदर्शन किया जाता है एवं
इस विषय पर विभिन्न कार्यशालायें विषय विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में आयोजित की
जाती हैं | प्रतियोगिता के इस युग में यह अतिआवश्यक है कि आप यह पहले से ही सचेत रहें एवं
योजना बनाकर अपने भविष्य को निर्धारित करैं |
1२. निर्देशन एवं मार्गदर्शन हेतु (Guidance and Counseling) कार्यशालाओं का
आयोजन:-
बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के
अन्य क्षेत्रों में भी निर्देशित एवं मार्गदर्शित करने के पूरे-पूरे प्रयास किये
जाते हैं | पढ़ाई कैसे व किस योजना के साथ की जाए, जीवन में स्वास्थ्य को कितना
महत्त्व दिया जाए, दूसरों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाए, समय प्रबंधन कैसे
किया जाए, सफलता कैसे प्राप्त की जाए, व्यक्तित्व कैसे निखारा जाए आदि – आदि |
१३. खेलों के प्रति बच्चों में रुझान पैदा करना:-
जीवन में खेलों का बहुत ही ज्यादा महत्त्व है इस विचार से बच्चों को अवगत
कराया जाता है साथ ही खेल को भे जीवन जीने का जरिया कैसे बना सकते हैं इस बात को
भी बच्चों तक पहुंचाया जाता है | खेल के क्षेत्र में भी काफी संभावनायें हैं इसे
भी भविष्य निर्माण का हिस्सा बनाया जा
सकता है | इस विषय को गंभीरता से संगठन ने लिया है और विभिन्न खेल विशेषज्ञों के
माध्यम से बच्चों को इस बाबद जानकारी दी जाती है |
१४. साहसिक गतिविधियों (Adventure Activities)के प्रति लगाव पैदा करना :-
साहसिक गतिविधियाँ जीवन में एक विशेष भूमिका रखती हैं | इस हेतु संगठन
प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय साहसिक संस्थान, पचमढ़ी(मध्य प्रदेश) के संरक्षण में दस
दिनों का साहसिक कार्क्रम चलाता है इस दौरान बच्चों को माउंटेनियरिंग, रिवर
क्रासिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, राप्लिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के माध्यम से साहसिक
बनाने का प्रयास किया जाता है | एवं पहाड़ों में कठिन परिस्थितियों में कैसे
तारतम्य बिठाया जाए इस की जानकारी एवं अनुभव कराया जाता है |
१५. स्काउट एवं गाइड्स के माध्यम से सामाजिक कार्यों के
प्रति लगाव पैदा करना:-
भारत स्काउट एवं गाइड्स के माध्यम से भी सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन कर सभी
धर्मों की प्रार्थनाओं से बच्चों को परिचित कराया जाता है | साथ ही साथ सभी धर्मों के ग्रंथों को
इस प्रार्थना सभा का साक्षी बनाया जाता है | इस आन्दोलन के माध्यम से बच्चों में
सामाजिक कार्यों के प्रति जाग्रति पैदा की जाती है | इस आन्दोलन के माध्यम से
बच्चों को जिला स्तर पर, राज्य स्तर पर एवं राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी दिए
जाते हैं|
१६. पुरस्कारों के माध्यम से प्रोत्साहन:
केंद्रीय
विद्यालय संगठन समय – समय पर शिक्षकों एवं बच्चों को प्रोत्साहित करने का प्रयास
करता रहता है | इसके लिए समय – समय पर पुरस्कारों की घोषणा की जाती है जैसे
क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर एवं राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों की घोषणा | इसके
अलावा मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के माध्यम से भी शिक्षकों को राष्ट्रीय
पुरस्कार देने की भी व्यवस्था है |
१७. विदेशों में भी पैठ:-
आज केंद्रीय विद्यालय संगठन के कुछ विद्यालय विदेशों में भी स्थापित हैं | के
वी एस परीक्षा परिणामों के क्षेत्र में भी अपना विशेष स्थान रखता है | आज के वी एस
के 1000 से भी ज्यादा विद्यालय हैं इनमे से कुछ विदेशों में शिक्षण कार्य में अपना
बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं |
१८. निम्न आय वर्ग के लिए विशेष परिस्थिति में प्रवेश:-
निम्न आय
के बच्चों के प्रवेश का भी विशेष व्यवस्था है |शिक्षा के अधिकार अधिनियम के
अंतर्गत भी बच्चों को प्रवेश की व्यवस्था है | शिक्षा के क्षेत्र में संगठन का इस
ओर विशेष ध्यान रहता है |
१९. वार्षिक गतिविधियों के कैलेंडर में समानता:-
के
वी एस का वार्षिक कैलेंडर प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय के लिए एक सा होता है
जिसमे अप्रैल से लेकर मार्च तक होने वाली विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक , खेलकूद ,
शैक्षिक एवं अन्य गतिविधियों को स्थान दिया जाता है ताकि इनकी गतिविधियों में राष्ट्रीय
स्तर पर समानता बनी रहे | साथ ही परीक्षा का कैलेंडर भी एक सा तैयार किया जाता है
| Split – up – Syllabus भी वर्ष भर के पाठ्क्रम पर आधारित तैयार किया जाता है जिससे एक सा पाठ्यक्रम
देश भर में एक ही समय पर कार्यान्वित हो सके |
२०. संसाधनों से भरपूर पुस्तकालय एवं पुस्तकालय नीति :-
संगठन का हमेशा यही प्रयास रहता है कि विद्यालय में बच्चों को सभी प्रकार के
धार्मिक उपदेशों एवं आदर्शों पर पढने के लिए पुस्तकालय में किताबें उपलब्ध करवाई जायें
| जिसके माध्यम से बच्चों में अन्य दूसरे
धर्मों के प्रति आदर की भावना जागृत की जा
सके | साथ ही बच्चों को क्षेत्रीय भाषाओं के लेखकों के द्वारा किये गए लेखन कार्य
से अवगत कराया जा सके |
भारतीय संस्कृतिक धरोहरों
के संरक्षण के प्रति भी बच्चों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है | वर्ष भर
सभी धार्मिक त्योहारों को मनाकर साथ ही विभिन्न धार्मिक विभूतियों की जयंती मनाकर
उन्हें सम्मानित किया जाता है एवं उनके विचारों को बच्चों के मन मस्तिस्क में
स्थान देने का प्रयास किया जाता है |
निष्कर्ष :-
अंत में
हम यही कह सकते हैं कि के वी एस मानवतावादी , साम्प्रदायिक एकता व् अखंडता से
ओतप्रोत एवं भारतीय संस्कृति के प्रचारक के रूप में कार्य कर रही है | विभिन्न
प्रान्तों के रीति - रिवाज , संस्कृति एवं
सुविचारों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रचारित करने का प्रयास किया जाता
है |
आज भारत
को ऐसी ही और शैक्षणिक संस्थाओं की आवश्यकता है जो संस्कृति व् संस्कारों का
प्रचार – प्रसार कर सकें व भारत की एकता व अखंडता को मजबूत करने में अपना योगदान
कर सकें |
केंद्रीय
विद्यालय संगठन पर कविता
के वी एस
के
वी एस की महिमा, लगती निराली हमें
बांधती है अपने, बंधन में सबको |
इसकी पढ़ाई देती, सम्पूर्ण ज्ञान हमें
निखारती, सभी कलाएँ बच्चों में |
कभी बाल मेला ,कभी हाइक पर बच्चे
कभी पोलियो कैंप, कभी स्काउट कैंप |
कभी ट्रेनिंग कैंप, कभी करिएर गाईडेंस
बच्चों को ये, ट्रैकिंग पर ले जाते हैं |
कभी वाटर स्पोर्ट्स, कभी ओलम्पीआड
सभी खेलों की ,स्पोर्ट्स मीट ये कराते
हैं |
शिक्षकों की योग्यता ,इनकी
विधा से दिखे
बच्चों को ये, इंजीनियर, डाक्टर बनाते हैं |
कभी रिफ्रेशेर, कभी
ट्रेनिंग कैंप
शिक्षकों को शिक्षा के, गुर ये सिखाते हैं |
नेता, अभिनेता ,सभी प्रकार के चरित्र
विद्यालय में ये ,रोज
ही दिखाते हैं |
कराते हैं ये पार्लियामेंट ,स्कूल
प्रांगण में
बच्चों में ये ,नेतृत्व की भावना जगाते
हैं |
पुस्तकालय भी इनके होते हैं नंबर वन
जहां बच्चों को, ज्ञान का भण्डार मिल जाता है |
प्रोजेक्ट हो, या हो असाइनमेंट
क्षण भर में ,यहाँ पूरे हो जाते हैं |
ज्ञान का प्रसार ,करते ये लाइब्रेरियन
ज्ञान के मसीहा के, रूप में जाने जाते हैं |
कम फीस, अच्छी सुविधा का वादा
राष्ट्रपति ,स्काउट- गाइड ये बनाते हैं
|
ऊँची ऊँची बिल्डिंग ,खुला
मैदान देखो
धरती पर स्वर्ग ,उतार
ये लाये हैं |
शिक्षा पर शोध, यहाँ का नारा है
सारा विश्व , परिवार हमारा है |
धार्मिक एकता ,अखंडता उपरोपरि
साम्प्रदायिक एकता, उद्देश्य हमारा है |
बच्चे सहयोग करें, बाढ़ पीड़ितों के लिए
भूकंप पीड़ितों के लिए, दंगा पीड़ितों के लिये |
समाज की सेवा करना ,यहाँ
बच्चों को सिखाते हैं
राष्ट्र् समर्पण की ,भावना
जगाते हैं |
के वी एस की महिमा, लगती निराली हमें
बांधती है अपने, बंधन में सबको ||
जय के वी एस जय भारत
कविता द्वारा :- अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय बी एस एफ़ रामपुरा
फाजिल्का ( पंजाब )
नोट :- के वी एस के बारे में लिखना मेरे लिए गौरव की बात
है साथ ही यह कहना चाहूंगा कि संगठन के योगदान को शब्दों की सीमा में नहीं बाँध
सकते |
के
वी एस के प्रति मेरी श्रद्धा एवं विचारों को आपने शब्दों में बाँध दिया है फिर भी
मैं अपनों आस्था व श्रद्धानुरूप लेख लिख रहा हूँ | साथ ही अपने आपको मैं
गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ|
धन्यवाद
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